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न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का गुरुर हूँ फिर भी जीने को मजबूर हूँ रब ये कैसा दस्तूर है जिंदगी नहीं रही बिंदास ये दिल रहता है उदास जीना न काबिल ए इंतिखाब है परिंदा अब उड़ने को बेताब है
जो सदा हमारे दिल में रहता है उसे बताने की जरूरत क्या है फिर भी अगर वो ना समझे तो समझाने की जरूरत क्या है
I asked my friend “ How do Indian cricketers keep cool even after playing so long on the field ? “ She replied “ Because they have so many fans in the stadium . “
सभी की निगाहें उठ रहीं थीं तुम्हारी तरफ सभी के दिलों को थी तुम्हारी तलब तेरी निगाहों के एक इशारे का था इंतजार जो बता देता किसे नसीब था तेरा प्यार
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड परायी जाणे रे । पर दुःखे उपकार करे तो ये मन अभिमान न आणे रे ॥
उम्र ढल रही है तो गम नहीं है हसरतें अभी भी कम नहीं हैं
अच्छा था जब तक वो बेगाना था मेरी जिंदगी में उसे क्यों आना था अगर यूँ ही रुला के हमें जाना था
मकर संक्रांति और पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएं मकर संक्रांति ले आये आपके लिए खुशियां खास आप सभी के लिए हमारी यही है आस
जब मेरे हाथ में तेरा हाथ है मानो सारी खुदाई मेरे साथ है फिर डरने की क्या बात है
होश वालों को खबर क्या बे -खुदी क्या चीज है इश्क़ कीजे फिर समझिये जिंदगी क्या चीज है - निदा फ़ाज़ली
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