जब एक दिन, दौलत-शौहरत सब यहीं रह जाना है,,
तो फिर आज इसे क्यों सारे जमाने को बताना है।
आये थे एक समान, अंत में एक सा सबको समाना है,,
कर छोटे-बड़े सा भेद जग को नही, खुद को बहकाना है।
सामना होगा गर सच्चे और स्वाभिमानी नेक बंदों से,,
भाव न मिला, तो खुद ही, खुद को, खुद से सताना है।
क्या हो, कौन हो, कैसे हो, खुद जानते पहचानते हो,,
तो फिर ये भी क्या हुआ जरूरी सबको जताना है।
, ✍️Jugal Kisओर