अगर कभी अकेले पड़ जाओ ना तो खुद से मुलाकात कर लेना,
खामोशी के इस जहां मे खुद से ही दो चार बाते कर लेना,
कभी खुद को समझाना तो कभी खुद से ही लड जाना ,
कभी खुद ही रो देना तो कभी खुद ही अपने आंसु पौंछ लेना ,
कभी हसना तो कभी अपना फेवरेट खाना खा लेना ,
कभी अपने आप संवारना तो कभी खुद ही उसे बिखेर देना ,
पर कभी खुद को अकेला मत समझना , युही खुद से मुलाकात कर लेना।
- बस युही खुद से मुलाकात कर लेना।
-Nidhi Satasiya