चेहरे की हसी दिखावट सी हो रहीं हैं
असल जिंदगी भी बनावट सी हो रही हैं
पहले जैसी थी नही वैसी हूं आजकल
मेरी कहानी कोई कहावत सी हो रही हैं
दूरी बढ़ाती जा रही हैं मंज़िल से मेरी
चलते चलते भी थकावट सी हो रही हैं
शब्द भी कम पड़ रहे मेरी बातो में भी
ख़ामोशी की जैसे मिलावट सी हो रही हैं