जितना जितना तुम्हे पढ़ते जा रहे है, मनोव्यथा बढ़ती जा रही है।
प्रेम , आकर्षण हमे नहीं पता क्या है, पर कुछ तो हैं जो तुम्हारी तरफ खिंचे जा रहा हे मुझे।
तुम्हे शायद पता भी न होगा, ओरो की ही तरह शायद हम भी तुम्हारी नजरो में होगे या न भी हो!
लेकिन तुम खास हो तुम्हे सिर्फ पढ़के जाना हमे बस यही जाना की,
है तो दोनो एक दूसरे के जैसे ही, पर क्या वक्त का पहिया हमे एक करेगा?
क्या हम मिलेंगे कभी, क्या जान पाएंगे एक दूसरे को, या फिर ख्वाविश बनके ही रह जाओगे तुम मेरी जिंदगी में!
तुम्हे तो पता ही नही होगा कुछ, तुम खुद में इतनी व्यस्त जो रहती हो।
में भी तुम्हे कुछ कह नहीं सकता, अभी तो मेने तुम्हे हाई का मेसेज भी नही डाला।
पता नही आगे क्या होगा क्या नही, बस कोई मलाल न रह जाए। में उससे बहुत घबराता हु।
आज तक सिर्फ खुद को अकेला समझता रहा या खुद को ही अकेला कर दिया, पर चन्द दिनों में तुम्हारे अल्फाज अपना बना गए।
पता नही नियति ने क्या सोचा होगा, पर इस बार खुद को टूटने नही दे सकता में, क्युकी अब मुझे संभाल ने के लिए कोई नही होगा।
वक्त ही कोई साजिश करदे हमे मिलाने के लिए, मुझे उस क्षण की प्रतीक्षा होगी।