Hindi Quote in Poem by TUHINANSHU MISHRA

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चेतना

अंधकार में रमा हुआ,
चहुं ओर था धुआं हुआ,
नेत्रों से अश्रु प्रवाह हुआ,
था शीश क्यों झुका हुआ?

मन में भरा तनाव था,
हर कोशिका में घाव था,
जो नेत्र फिर कहीं पड़े,
बस प्राण का अभाव था।

एक क्षण शिला पे बैठकर,
इन चक्षुओं को मूंदकर,
जो ईश का स्मरण किया,
कुछ शांत सा हृदय हुआ।

ये सूर्य का जो तेज था,
या वायु का वो वेग था,
कि भार कुछ हटा लगा,
मस्तिष्क कुछ नया लगा।

मेधा को यह असूझ था,
पर सत्य यह नितांत था,
की सूक्ष्म यह जो भाव था,
यह चित्त का आधार था।

©Tuhinanshu Mishra

Hindi Poem by TUHINANSHU MISHRA : 111778284
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