ऐ ज़िंदगी तुझे इस कदर सताया जाये,
में रहूं जिंदा और तुझे मर के दिखाया जाये।
मुझे पता हे तू हो गई हे ख़फ़ा मुझसे,
चल तेरी नाराजगी को थोड़ा और बढ़ाया जाये।
थक गई हे क्या मेरे इम्तेहान लेकर?
क्यूं ना सब्र को मेरे थोड़ा और आजमाया जाये।
काहिल शख्स हो गया हे सोहिल,
क्यूँ ना उसे फ़िर परेशानियों मे उलझाया जाये।
Aye Zindagi tuze is kadar sataya jaye,
Me rahu zinda aur tujhe marke dikhaya jaye
Mujhe Pata he Tu ho gayi he khafa mujhse
Chal teri narazgi ko thoda aur badhaya jaye
Thak gayi he kya mere imtehaan lekar,
Kyun na sabr ko mere thoda aur azmaya jaye.
Kahil shaks ho gaya hai sohil,
Kyu na use fir pareshaiyon me uljhaya jaye.
-Md. Sohil shaikh