मरुभूमि
रुकता रिसाव,
जल का बहाव,
है क्रूर दृश्य,
सुख का अभाव।
धरती की धूल,
कांटो में फूल,
सूरज का तेज,
तपता त्रिशूल।
गागर में नीर,
दुबला शरीर,
झलकाते नेत्र,
भीतर की पीर।
रात्रि की शीत,
होती प्रतीत,
मानों खुदा,
काला अतीत।
क्या है ये शाप?
या कोई पाप?
जिसको है भोगती,
यह देह कांप।