चलिए ले चले आपको 90s के दशक की यादों में , हमारे प्यारे से बचपन में ।।। प्रस्तुत है नई कविता "बचपन" 🙏🙏
कोई लौटा दे मेरे , वो बचपन के दिन …
जब जीते थे हर लम्हा , पैसो के बिन …
बस थी खुशहाल बातें , और मतवाले दिन ..
कोई लौटा दे मेरे वो बचपन के दिन ..
वो गर्मी की छुट्टियों में नानी घर जाना …
वो खुले आसमान में , छत पे जाके सोना ..
वो कुल्फी के ठेले पे सबसे पहले जाना ..
भुला नहीं हूँ वो एक भी दिन …,
कोई लौटा दे मेरे वो बचपन के दिन ।।
वो वीडियो गेम की दुनिया में पूरा दिन गुज़ारना ,
वो बारिश के मौसम में कागज़ की नाव चलाना …
वो शाम होते ही पतंगों से पेंच लड़ाना …
क्या क्या थी यादें … क्या क्या थे दिन ..,
कोई लौटा दे मेरे वो बचपन के दिन ।।
वो स्कूल न जाने के बहाने बनाना ..
वो क्लास बंक करके , दोस्तों संग जाना ..
वो गेम्स पीरियड का दिल-ओ-जान से इंतज़ार करना ….
न आएंगे अब वो नटखट से दिन …,
कोई लौटा दे मेरे वो बचपन के दिन ..।।।
वो शैतानी करने पे माँ से मार खाना ..
वो पापा के आने पे डरके छुप जाना ..
वो हर छोटी बात पे भाई बेहेन से लड़ना ..
ले आओ न वापस … वो भीगे हुए दिन …,
कोई लौटा दे मेरे वो बचपन के दिन ।।।
खो गयी अब वो यादें , खो गया वो खज़ाना ..
कितनी भी कोशिश करलो न आएगा वो ज़माना …
ले आओ न वापस मेरे वो खुशहाली के दिन …,
कोई लौटा दे मेरे वो बचपन के दिन ….
कोई लौटा दे मेरे वो बचपन के दिन …।।।