ये बात है उस शाम की , जिस शाम वो मेरे साथ थी
न जाने किसकी खता थी वो, या थी खता जज़्बात की,
कहने को थी बातें कई,
ज़ुबान पे कभी जो आती नहीं,
मगर जो देखा उसने मुझे , ठहर गया लम्हा वहीँ ।।
थी एक क़यामत की शाम वो,
बारिश भी मेरे साथ थी ,
डर था वक़्त के साये का, के हो न जाये ये ओझल कहीं ।।
कहने ही लगा था बात दिल की,
के पहले ज़ुबान उसकी खुली ,
भूल के वो सारे वादे, कह मुझे अलविदा चली !!
पूछना था चाहता , था फिर क्यों मुझसे वास्ता ,
पर देख उसके आंसुओं को, मिल गया था रास्ता !!
राहों को अब भी तकता हूँ ,
मिल जाये जो मुझको फिर कहीं ,
लेकिन ये जानता हूँ , इस सच को मानता हूँ
यादों में रहने वाले, वापस कभी आते नहीं।।
यादों में रहने वाले , वापस कभी आते नहीं।।
~ रोहित किशोर