वो नूर थी जन्नत की जो महलोंमें पली बडी
वो कली थी कोमल जो बागोंमें छाओमें खिली
प्यार की जिसके एक वक्त लगी थी बडी कसोटी
राजभोज खाने वाली ने खाई रोज सुंखी रोटी
कर्ण की छोटी सी दुनिया में उसने खुशियों को बूना
राजकुमारी होकर भी जिसने जीवन साधारण चुना
समाज, परिवार सबका विरोध उसने सेहेन किया
सूतपत्र को वर कर अध्याय प्यार का लिखा नया
वो झरना थी प्रेम का वो सखी थी अनुरागिनी
कौन थी वो राजकुमारी जो कहलाई कर्णसंगिनी ?
- smile