हर पल जीती हूं तुम्हारे एहसास में,
कैसे कहूं कि तुम पास नही
देखा है प्यार तुम्हारी आंखों में
कैसे कहूं कि तुम्हें ऐतबार नहीं
लड़ती हूं, बिगड़ती हूं फिर भी तुम्हीं में
उलझी रहती हूं
मोहब्बत मेरी अब तुमसे जायज नहीं
कि तुम अब मेरी तकदीर में नहीं
अब तुझसे तेरी ही खुशी के लिए
दूर जाना है
ए मेरे सनम,
अब वफा ए मोहब्बत कुछ इस तरह से निभाना है।
- Haneen