" मौन " जो शब्दोंका नया सफर है.. " प्रणव ॐ " तक पहुँचनेका..जोकि " प्रणव ॐ" से ही लफ्ज़ोको अस्तित्व मिला है, पर वो अनभिज्ञ है अभी ! लफ्जोको खुदके अस्तित्व " ॐ " से भिज्ञ होना बाकि है अभी.... शुरुआत है अभी... !
वैसा ही हमारा भी है... ! हमभी अनभिज्ञ है ! सफर जारी है...