# कविता ..
विषय .आइना कुछ कहता ..
आइना आपकी ,सुदंर तस्वीर बताता ।
आपकी वास्तविकता ,सबके सामने लाता ।।
कुछ भी अतिशयोक्ति ,नही बताता ।
अपने मुँह मियाँ मीठुं ,नही बनता ।।
आपकी कभी चापलुसी ,नही करता ।
आपकी सही तस्वीर ,सबको बताता ।।
इसलिए लोग आइना ,के सामने आने से ,
डरते सदा ।
आइना भाईभतीजावाद ,कभी नही चलाता ।।
वह तो आपको प्रेरणा ,भी सदा देता ।
जैसे बाहर से दिखते हो ,वैसे अंदर से दिखो सदा ।।
पर मानव आइना की ,हंसी सदा उड़ता ।
गुस्से होकर उसे ,तोड़ भी ड़ालता ।।
मानव को कोई शिक्षा दें ,यह नही भाता ।
मानव को पहचानना ,ईश्वर के हाथ नही होता ।।
इसलिए वह हवा में ,बहुत ही उड़ता ।
जब ठोकर लगती तब ,ईश्वर को याद करता ।।
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