# कविता ..
# विषय .सरस्वती ...
सरस्वती के भंडार की ,बडी अपूर्व बात ।
ज्यों ज्यों खर्चे ,त्यों त्यों नित बढे यह ।।
बिन खरचे ,यह पल में धट भी जात ।
इसकी कृपा बिना ,कोई ज्ञान नही पात ।।
अगर इसकी अनुकंपा हो ,तो पल में विद्धान ,
बन जात ।
कालीदास सा मुर्ख ,महान कवि गया बन ।।
सूरदास नैत्रहीन भी ,महान ग्रंथकार गये बन ।
सरस्वती कृपा बिना ,शिक्षा के दशर्न कोई नही पात ।।
जिस पर इसकी कृपा बरसे ,पल में जड चेतन ,
बन जात ।
इसलिए माँ शारदा ,विधादायनी कहलात ।।
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