सारी बातें, सारा गुस्सा, सारी नादानी, सारी मस्तियाँ, वो अधूरे होमवर्क वाली किताबें, वो मोम के प्यार से भरा हुआ नास्ते का डिब्बा, पहली बार मिली हुई प्रेम की चिठ्ठीया और... और उसके अलावा किताबें और पेन्सिल।
हाँ, आप सही सोच रहे हो में मेरे स्कूल के "bag"(बेग ) की ही बात कर रही हूँ।
वो मेरा स्कूल बेग नहीं, लाइफ़ पार्टनर हो जेसे, मेने कभी उस्से कुछ नहीं छुपाया, कैसे छुपाती? मेरे पढने से पहले तो मेरा बेग ही उसे पढता था! चाहे वो लव लेटर हो या टीचर की किताब में मोम को दिखाने के लिए लिखि गइ कम्पलेन।
अगर कभी दिल सता रहा हो और रोना आ रहा हो तो सिर्फ बेग पर सिर रख कर सो जाती में। बस मोम के बाद सिर्फ बेग की ही गोद मुझे अच्छी लगती।
स्कूल कका टाइम होते ही में बेग में सिर्फ किताबें ही नहीं मगर साथ साथ ढेर सारी बातें भी भर कर ले जाती थी।
और
और घर आते समय बेग में ढेर सारी खुशियाँ भर कर ले आती हाँ, में थोड़ी बुरी तो थी मेरे बेग के लिए!
क्यूँ नहीं लगुगीं उसे बुरी?
जब स्कूल जाती तो बड़े प्यार से ले जाती , मगर घर आती तो आकर ही उस्से ईक कमरे में बिस्तर पर फेक देती।
मगर हॉं, में उस्से बहोत प्यार करती थी। आज भी जब स्कूल की याद आती हैं तो सबसे पहले वो कोने में पडा़ हुआ बेग ही ऑंखों में से पानी बहा देता हैं।
-हिताक्षी