वो छुपछुप के मिलना करना शरमाके बातें,
बहोत लुभाता है दिल को ये अंदाज आपका,
याद आती है मुलाकातें ।
डर के जब आप हमारी बाहों में सिमट जाते है,
क्या कहे दिल के लाखो अरमान मचल जाते है ।
जानते है न हो सकेगा आसमान और धरती का ये मिलन,
फिर भी न जाने क्यों चाहत के दिये जलाये जाते है ।
वाकिफ है हम दुनिया के सख़्त नियमों से,
पर आप साथ दे तो नामुमकिन को भी मुमकिन कर दिखाने का हौसला रखते है ।
चाहे ना मिल पाए इस ज़िंदगी में हम दोबारा,
पर आपका आशियाना सलामत रहे ये दुआ करना फ़र्ज़ है हमारा ।
~ रुचिता गाबाणी