अल्फाज़ों को नहीं, ख़ामोशियों को समझते हैं।
लफ़्ज़ों से नहीं, दिलों से बातें करते हैं।
इस दौर में जहाँ खून के रिश्ते भी साथ छोड़ देते हैं।
ज़रा सी मुसीबत में मुँह मोड़ लेते हैं।
ये हाथ पकड़कर गले लगा लेते हैं,
"मैं हूँ ना सब ठीक हो जाएगा"
ऐसा कहकर हिम्मत बंधाते हैं।
मिलों दूर रहकर भी सबसे करीब वो होते हैं।
हर छोटी बात में खिलखिलाहट उड़ेलते हैं।
बेरंग ज़िंदगी में खुशियों के रंग बिखेरते हैं।
हर गम, हर सितम जिन्हें देखकर ही रास्ता बदल लेते हैं।
उलझन में ज़रा सा भी न पड़ ऐ ग़ालिब!
वो खुबसूरत दिलवाले 💖दोस्त 💖 कहलाते हैं।
-𝚂𝚊𝚔𝚜𝚑𝚒 𝙹𝚑𝚊