राष्ट्रपिता का दर्जा पाने वाले ,
भारत फिर से तुझे पुकार रहा।
तुम सत्य अहिंसा के अनुयायी,
भारत में केवल भ्रष्टाचार रहा।
ना बात तेरी लोगों ने मानी,
कहने को राष्ट्रपिता से प्यार रहा।
तुमने नारी सम्मान का स्वप्न सजाया,
लेकिन दुष्टों से भारत लाचार रहा।
हे बापू हम जीत गए गोरों से,
लेकिन हावी हम पर हिंसा का हार रहा।
-Archit Pathak