........जिन्दगी की इस भागदौड़ में किसी को कुछ नहीं पता कि वह कहाँ जा रहा है।बस इस दुनिया के पीछे गधों की तरह चलता जा रहा है।आखिर फिर उसकी भी क्या गलती है,समाज ने तो हम सबको जंजीरो के सहारे ही जीना सिखाया है।जो इस समाज में कुछ अलग करने कि कोशिश भी करता है,तो समाज इतना डर पैदा कर देता है,कि या तो वह अपने आपको समझ लेगा,नहीं तो फिर जान गवाँ बैठेगा।इसलिए मैं चाहता हूँ सबलोग खुलकर जियो।