मनोजवं मारुततुल्यवेगमं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
अर्थ : मन-जैसी स्फूर्ति और वायु-जैसे वेग वाले, परम बुद्धिमान, इन्द्रियनिग्रही, वानरपति, वायुपुत्र हनुमान की शरण लेता हूं। ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़