न जाने कितने लहू बहे होंगे कितनो ने जानें गवायी होंगीं ये दिन देखने के लिए.. साल के दो दिन Status या Dp लगा देने से क्या हम चुका पाएंगे ईनके लहू का कर्ज? पता नहीं ईन दो दिनों के सिवा कहाँ जाती है ये देशभक्ति? हम अपने देश को कहते हैं "विविधता में एकता" पर पता नहीं जब एक गरीब छोटा सा बच्चा आकर खाने की भीख मांगता है तब ऊसे धुत्कारते वक्त कहाँ जाती है ये एकता? हाँ, माना सभी लोग एसे नहीं होते पर नब्बे प्रतिशत लोग एसे ही है। एक लड़की को जब भरी बाज़ार में छेड़ रहे होते हैं कुछ निक्कमें तब हम सब सिर्फ एक तमासे की तरह देखते हैं आवाज़ नहीं उठाते पता नहीं तब कहाँ जाती है ये देशभक्ति? जब कोई जवान सरहद पर सहीद हो जाता है तब कुछ दिनों के लिए Status रखकर हम ऊन्हें वंदन कर देते हैं पर ईन सबके बाद ऊनके परिवार का निर्वाह केसे होता होगा ये जानने की कोशिश की है कभी? "स्वच्छ भारत " के नाम पर कुछ जगह को सिर्फ दिखावे के लिए साफ करके जा़डु के साथ फोटो social media पर डाल देते हैं और कुछ दिनों बाद ऊसी जगह पर हम खुद कचरा जहाँ तहाँ फैंक देते हैं तब पता नहीं कहाँ जाती होगी स्वच्छ भारत की भावना?
खैर अब तुम कहोगे कि ईन सभी का देशभक्ति से क्या ताल्लुक? पर मेरे हिसाब से ताल्लुक ज़रूर है ईन सभी पहलू को जब तक तुम एक तमासे की तरह देखते रहोगे तब तक तुम सच्चे देशभक्त बन ही नहीं सकते.. खैर अगर सभी पहलू में कहने बैठुंगी तो सायद किताबें भी कम पड़ जाएंगी..
आखिर में बस इतना ही कहुंगी की हमे ईस स्वतंत्रता से जीने का अधिकार दिलाने वाले हर वीर के बलिदान को सत् सत् नमन् 💐🙌🇮🇳