मैं: सूनोना..तुमसे एक सवाल पूछना था,पूछ सकती हुं
क्या?
वो : हाँ, जरूर पूछोना..
मैं: हर कहानी का अन्त सुखद ही क्यों होता है?
वो:क्योंकि कभी ना कभी तो सुख आता ही है जि़न्दगी में।
मैं:मगर जिंदगी का क्या भरोसा हमें कैसे पता चलेगा की अभी अन्त है?
वो : पता न चले तो समझ लो अभी कहाँनी अधुरी है..
मैं: में भी एक कहानी लिखुँगी।
वो: (एक मुस्कान के साथ) सच सच बताना तुम मुझपे कहानी लिखने का सोच रही होना, हाँ या ना?
मैं: हाँ..
(फिर काफी देर तक बहस चलती है ऊसकी मुजसे सच उगलवाने के लिए की मुझे उससे प्यार है लेकिन ना फिर मेंने दिल की बात कही और ना ही ऊसने)
वो: (बहस के बाद थोड़ी खामोशी के बाद मुस्कुराते हुए ) जी! मतलब अभी कहानी अधुरी है..