टाइगर बाघ
ये सिर्फ एक नाम नहीं है, पहचान शौर्य की, ताक़त की, हिम्मत की, शक्ति का प्रतीक है टाइगर।
आज भी लोग सिर्फ इस की आहात से डर जाते है , इसकी एक दहाड़ से काँप जाते है ,
आज भी जब ये पास से गुज़र ता है, तो सांसें थम जाती है लोग सिहर जाते है।
ये दस्तक है उस डर की जिसे लोग सताते है उसकी तन्हाई में अकेले पैन में और थर्रा उठ ते है उसके प्रहार से।
ये दहशत आज भी कायम है हर उस जंगल में जहाँ हर वन्य जीव अपनी जान डाव पे लगा के निकल ता है खुले जंगल में, अपना जीवन आचरण करने और रहता है तैयार शिकारी बाघ अपने सिखर के तलाश में।
असुरो के विनाश से लेके दुर्गा की पूजा तक इसने हमेशा हमारा साथ दिया है।
बंगाल से लेके कैलिफ़ोर्निया के जंगलों तक, अफ्रीका के वाइल्डलाइफ से लेके चीन के ओपन ज़ू तक सब की शान रहा है।
पर क्या एक मॉस के टुकड़े ने हमे इतना बेबस और मजबूर बना दिया है जो किसी के जान की एहमियत तक भुला चुके है।
केवल उस एक शौक कीमत हम जानते है पर उस बेज़ुबान के प्राणो का एहसास भुला बैठे है।
यह मत भूलो की श्रिष्टि की हर एक चीज़, एक दूसरे पे आधारित है कोई एक भी चक्र अगर टूट जाये, तो जन जीवन बेहाल हो जाता है। जिस तरह शरीर को अवयवों की ज़रुरत है उसी तरह यह वन्य जीव औरो के लिए ज़रूरी है।
इस लिए जीयो और जीने दो।
- कुमार