Dear Tum,
जब जब मैं तुम्हारे बारे में सोचता हूँ न वक्त कहा गुम हो जाता हैं, मुझे कुछ पता ही नही चलता। फिर से तुम यादों कि वो भिनी सी खुशबू कि तरह पूरे वातावरण में फैल सी जाती हो, फिर तुम्हारी यादों में मैं मोहित हो जाता हूँ।
खुद को भूल कर मैं तुम्हें ही पास पाता हूँ, तुम होती तो ऐसा होता तुम होती तो वैसा होता, पर तुम साथ तो होती न।
अक्सर टुटा हूँ मैं तुम्हें खोकर, जब भी याद किया तो तुमको दूर दूर बहुत दूर ही पाया हैं। अब लगता हैं कि तुम आई ही क्यों थी जब तुम्हें जाना ही था। भूला दिया तुमने ही जो कहती थी कि आप भूल गये हो मुझे। तुम स्वार्थी हो गयी हो जो कभी मुझे स्वार्थी कहा करती थी।