समंदर में उठने वाली लहरों के बीच अपना मार्ग करते हुए जिस प्रकार कुशल नाविक अपने जहाज़ को निश्चित लक्ष्य की ओर ले जाता है, संसार के सुख-दु:ख आदि सभी द्वंद्वों से गुजरते हुए, मन में प्रभु के प्रति विश्वास के साथ हमें कल्याण की ओर बढ़ते रहना है।
- सप्रेम हरिस्मरण