सैनिक
तुम सुत भारत माता के,
तुम पूत वीर माता के।
तुम साश्वत हो इस धरती के,
तुम योद्धा हो इस भूमी के।
कठिनाइयों से भरा है जीवन तुम्हारा,
पर सदा किया है सम्मान इस पद का।
सर्दी हो, गर्मी हो, या हो फिर बारिश,
अपने कर्तव्य से कभी हट्टा नही ये खालिस।
चहु और से सुरक्षित कर,
ली है हमारे सुरक्षा की कसम
पर हर बार कम पड़ जाता है तुम्हारा नमन।
परायों के बीच ढूंढते हो अपनो का प्यार,
अकेले में रह कर करते हो अपनो को याद।
औरो के घर दीवाली के दीप सजाते हुए,
न जाने कैसे सूनी रह जाती है राखी पे बाँहें।
चाहे कितनी भी विकट परिस्तिथि हो,
हस्ते मुस्कुराते उसे पार कर जाते हो।
रहा न अफ़सोस किसी बात का हम्मे,
आखिर सुरक्षा में खड़े है "सैनिक" हमारे।
दुश्मन के बेहद करीब रह कर भी
बिना किसी असमंजस में फस कर भी
दुश्मनो की आंखों से सुरमा चुराके
सदा बढ़ाए रखी अपनी जीत की हुंकार
तुम्हारे इस पराक्रम को करता हु शत शत प्रणाम
भर आता है मन, आंखें हो जाती है नम,
होती है जब कोई अनहोनी तो कचोट ता मेरा मन।
युद्ध की यलगार में रहता है एक ही नारा,
तिरंगा लहराते नज़र आऊंगा या लहराते तिरंगे में नज़र आऊंगा।
बहा जो लहू तुम्हारा, तो सीना चन्नी मेरा हुआ।
चोट जो तुम्हे पोहची, तो दर्द मुझे हुआ
रुक जाती है साँसें मेरी, सेहेम जाता है दिल
आती है जब ख़बर तुम्हारी, की हो गए तुम देवलीन।
रो उठी है धरती माँ, देख के तुम्हारा फ़र्ज़
आज देश की खातिर हुआ एक और "कुमार" शहीद
शुक्रिया करू कैसे तुम्हारा,
मांगी जो मदद हमेशा रहे तत्पर।
जब भी मांगा तुमसे एक योद्धा,
तुमने भर के मुझे झोलिया दि।
कभी निष्फल न होगा तुम्हारा कर्म,
करेंगे सदा हम इसका यतन।
आज फ़र्ज़ की खातिर फिर लड़ना है हम्मे,
परिवार की सुरक्षा, आत्मसम्मान के लिए लड़ना है हम्मे।
बनाए रखना देश का सम्मान,
आखिर तुम्ही हो हम्मरी आन बान और शान।
जय हिंद
- कुमार