समय
समय सब के जीवन में
काफ्ही एहमियत रखता है
कोई पांच मिनट जल्दी जाने से परेशान हो जाता है
तो कोइ पांच मिनट लेट पोहच ने से हताश हो जाता है
वक़्त सब के पास रह के भी
किसी के पास नही रुकता
कलाई पे रह के भी
कभी साथ नही चलता
ज़िन्दगी को सी सॉ की तरह
कभी ऊपर की ओर ले जाता है
तो कभी नीचे की ओर छोड़ता है
किसी के लिए रुका नही
किसी के लिए थमा नही
जिसको दिया जितना दिया अपनी गति से दिया
ये वक़्त बड़ा बलवान है
अच्छा चले तो फलक पे बिठा दे
ओर बदल जाए तो ख़ाक में मिटा दे
इसको जितना मुठ में कसना चाहो
उतना ही ये रेत की तरह फिसल ही जाता है
बचपना बीता शरारतो में
जवानी बीती आवारापन में
जब आँख खुली
तो पाया खुद को
वक़्त के तराजू में
कहत कवि कुमार
रुक जा संभाल जा
ज़िन्दगी ने एक मौका
तुझे फिर है दिया
ये वक़्त मत गंवा
इसे काम में लागा
ये अगर बदल जाए
तो इतिहास बन जाए
और ये बन जाए
तो भविष्य सुधार जाए
उठ जा लड़ जा
कुछ कर दिखा
अपनी मेहनत से
पहचान बना
अपनी जीत से दुनिया को दिखा
अपने नाम का हुंकार बजा
- कुमार