असल में जिंदगी कुछ अनसुलझी पहेली हैं।
कुछ वक्त पहले भरोसा दिलाया,
पल में ही फिरसे तोड भी दिया।
सुलझाने बैठे हम जेसे कई एक साथ,
पता चला कि, सबकी अपनी-अपनी,
कुछ अलग ही पहेलियां है।
हल ढुंढना नामुमकिन,
समझना तो उससे भी बत्तर,
समाघान से कोसों दुर,
थक हार कर बैठ गए सब,
मानो मंजिल से कई दुर।
कुछ वक्त पहले भरोसा दिलाया,
पल में ही फिरसे तोड भी दिया।
सच मे जिंदगी एक अनसुलझी पहेली है।