"सुशांत सिंह को समर्पित "
मुझे कुछ बनना है ,
ये मेरा है फैसला,
मुझे कुछ बनना है ,
ये मेरा है फैसला,
बस अब देखना है की ,
मुझमे कितना है हौसला,
तूने ये ही ठाना होगा,
दिखा दिया था हौसला तूने,
छु लिया था आसमान तूने,
फिर क्यू तू पीछे हट गया ,
थोड़ी हिम्मत तो की होती ,
थोड़ा लड़ा तो होता,
क्या पता आज हार सामने थी ,
कल तू ही जीता होता,
माना समझा न पाया तू दुनिया को ,
पर खुद को तो समझाया होता,
मान ही ली है तू ने हार अब तो क्या कहा जाए,
बस एक बार सिर्फ एक बार ,
अपने पिता का तो सोचा होता,
तूने खोई है ज़िन्दगी सिर्फ एक पल मे ,
वो मर रहा है यहाँ पलपल मे,
तुझे क्या लगा चला गया तू दुनिया से,
पर अब भी तू ज़िंदा है हर एक इंसान मे।
# पियू पूजा