हमारा कुसूर क्या है
क्यूँ हर बार हम ही भोग बनते है
सबकी आवाज़ सरकार तक पहुचाते है
घर बार छोड हम निकल पडते है
चाहे जैसा भी हो माहोल हंमेशा आगे आते है
बिना खाना पानी हम भी बाहर निकलते हैं
दंगा फसाद , लोगोकी समस्या या फिर हो कोरोना तब भी
परिवार की चिंता छोड लोगों का हाल दिखाते हैं
पुलिस , जनता या फिर हो राजनेता
सबकी आलोचना सहते है
लाठी दंडे खा कर भी हम
अपना दायित्व निभाते है
जानते है कोरोना का कहर
फिरभी लोगों के बिच जाकर उनका दर्द बांटते है
हम भी आप जैसे मनुष्य है
हम पर भी अन्याय होता है
तब कोन साथ निभाता है
फिरभी हम अपना फर्ज निभाते है ,
सभकी आवाज़ बनते है
क्योंकि यही कुसूर है हमारा की हम पत्रकार है
फिरभी गर्व से कहते है हा हम पत्रकार है।
#GET_WELL_SOON
#journalist