Quotes by Nilesh Rajput in Bitesapp read free

Nilesh Rajput

Nilesh Rajput Matrubharti Verified

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The Last Hope - 01

At the end of the morning,
You will miss the half cup of tea we shared,

At the end of the afternoon,
You will miss me being the shade that protected you from the sun,

At the end of the evening,
You will miss the sunsets we enjoyed together,

at the end of the day,
You will miss me in memories, because I would have died for you.

- Nilesh Tank

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કાપ્યું અંતર મિલો સુધી સાથમાં,
હાથ છતાં પકડવા પણ નથી દેતી,

પડી છે આદત તમારી કહી મને એ,
બે વાયદાઓ પ્રેમના કરવા પણ નથી દેતી...

જોઉં છું સપના તારા કહી મને ભોળવી જશે એ,
પછી તોડીને દિલ મારું બે આંસુડાં પાડવા પણ નથી દેતી..

માંગુ હું સદા તમને જ કહેતી પરણી જશે એ,
દેવદાસ બનાવી મને પ્રેમ એક તરફો કરવા પણ નથી દેતી..

- નિલેશ ટાંક

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અજાણ્યો પત્ર - 21

लोग कहते है की सब्र का फल मीठा होता है। लेकिन तेरे लिए किया गया सब्र मुझे कब्र की ओर ले जा रहा है। तेरे इंतज़ार में लाए गए कंगन और पायल की खनकता अब खंजर की तरह मेरे कानों में चुभ रही है। तेरी यादों में समेट रखे ये दिये मुझे अंधकार में रोशनी न देकर बल्की जला रही है। मेरा जलना ही मेरे सब्र का अंतिम फल है।

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અજાણ્યો પત્ર - 20

तुम सौंदर्य में गूंथी हुई एक चादर हो जिसमे मैं सदा लिपटते रहना चाहता हूं, तुम मुक्त गगन में उड़ती एक पंछी हो जिसे मैं हर सुबह शाम निहारना चाहता हूं, तुम गहरे प्रेम में खिला हुआ एक कमल का फूल हो जिसे मैं हर पल चूमते रहना चाहता हूं। तुम मेरे जीवन की वो मधुर धुन हो जिसे सुनते मैं अपना सारा जीवन व्यतीत करना चाहता हूं।

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અજાણ્યો પત્ર - 19

किसी शाम जब सपनो में तुम दुल्हन बन कर आती हो! तब न जाने क्यूं? ये रंगीन फिजाएं अपने रंगरूप बिखरने लगती है! आसमान में चमकते तारे बन कर बाराती नाचने लगते है! ठंडी हवाएं चिड़ियों के संग गुनगुनाने लगते है! और चांद चुप कर कहीं बादलों में अपने ही सौंदर्य को देख जलने लगती हैं!

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અજાણ્યો પત્ર - 18

ईर्ष्या, जलन, द्वेष , द्रोह न जाने कितने भाव मन में उठते है जब तुझे किसी और का हाथ थामें देखता हूं! लगता है जैसे आंखो से आंसू नहीं रक्त बह रहा हो! हाथ थरथराने लगते है! सांसे थम सी जाती है! जब तुम किसी और की धड़कन सुन रही होती हो। लगता है जैसे मैं मौत के ठीक समीप खड़ा हूं!

-Nilesh Rajput

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અજાણ્યો પત્ર - 17

तुम चाहो तो मुझे सरकार की तरह भी चुन सकती हो! ढेर सारे वादों के साथ आऊंगा तेरे द्वार पे, नेताओ की तरह मैं पूरी कोशिश करूंगा की तुम मेरी बातों में उलझकर सिर्फ मुझे ही चुनो पर तुम मेरी बातों को नहीं! मेरे जज्बातों को देखना, मेरे भीतर तुम्हारे प्रति जो प्रेम है उसको चुनना और हो सके तो पांच साल नहीं पांच जन्मों तक मुझे चुन लेना।

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અજાણ્યો પત્ર - 16

मैं तुम्हारे लिए खुली किताब नहीं बनना चाहता! मैं चाहता हूं की तुम मेरे जीवन का शीर्षक बनो, स्याही बन कर लिख दो खुद को मेरे हर जीवन के पहलू में, अगर कोई मुझे पढ़ना भी चाहे तो उसमें सिर्फ तुम्हारा ही नाम मिले। में मिट जाना चाहता हूं खुद की ही किताब में! और बचा लेना चाहता हूं तुमको हर किताब में!

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અજાણ્યો પત્ર - 15

तुम्हें मेरा सिगरेट पीना पसंद नही था ना, देखो मैने छोड़ दिया! लेकिन ये सिगरेट मुझसे हर बार ये सवाल करती है की जिस धुएं से तुम उसकी तस्वीर बनाए करते थे क्या उसके दिल में तुम्हारी भी कोई तस्वीर है? जिसकी यादों में तुम अपनी सारी उम्र घटा रहे थे क्या उसने तुम्हारी बची हुई उम्र में भी तुम्हारे हाथ भी थामें है?

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અજાણ્યો પત્ર -14

कौन कहता है की दर्द बांटने से कम होता है? सब जूठी बाते है, फरेब है! दर्द शब्द सुनते ही सब बहरे हो जाते है ! जैसे ये पत्र को पढ़ते वक्त तुम अनसुना कर दोगी, तुम नहीं कह सकोगी की मैं सिर्फ तुम्हारी ही हूं! छोड़ दो ऐसी बातें लिखना ! मैं अब और नहीं पढ़ सकती! नहीं देख सकती तुम्हारा आंखों से गिरते आंसू! लेकिन तुम नहीं कहोगी क्योंकि दर्द बांटने से कभी दर्द कम नहीं होता!

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