#न्याय
मैं औरत, बेटी,पत्नी और माँ हूँ।
मुझे मेरे हिस्से का न्याय उस दिन मिल गया होता...
जब 'बेटी' रूप में आने पर , तुमने गर्भपात न कराया होता।
'पत्नी' रूप में साथ दे,मेरे हक और इज्जत के लिए दुनिया से लड़ गए होते।.... और 'माँ'
माँ रूप में मेरे बुढ़ापे को वृद्धाआश्रम में न छोड़़,
अपने परिवार और संस्कार की छांव तले मेरे हिस्से का न्याय मेरे साथ किया होता।