सभी धर्मों में कहां गया है कि ईश्वर परमदयालु है।
तो फिर परमात्मा के बने फिरते उपासकों द्वारा कि गई हत्याएं क्या परमात्मा, ख़ुदा या ईश्वर का आदेश था?
जो वह आदेश था तो फिर सर्वशक्तिमान ताकत दयालु कहां से मान ले?
मेरा मानना बस यही है कि कोई भी धर्म का कट्टरपंथी कभी भी जन्नत के द्वार के पास भी जा सकता नहीं है।
ईश्वरने जो कायनात हमें बक्सी है वहीं कायनात में सबको खुश रखनेवाले इंसान ही जिंदा रहकर भी स्वर्ग पा लेते हैं।
स्वर्ग मां के चरणों में हैं फिर किसी की भी मां रोनी नहीं चाहिए वरना हमारी सोच गलत दिशा में जा रही है।