जन्म
नही चाह मुझे मोक्ष की,
नही चाह भक्ति की
जीवन- मरणके चक्र से
नही चाहिए मुक्ति।
हे देव! देना जीवन ऐसा,
जो हो उद्बैश्य भरा
जिस दिन हो निर्थक जीवन मेरा
उठा लेना ईश मुझे
उसी क्षण इस धरा से।
जिससे हो अहित किसी का
ऐसा जीवन ना देना,
घायल हो हिय किसी का
हे देव! ऐसी वाणी से
उसी क्षण मुझे मुक्त कर देना।
डा. रेनू पाण्डेय