पोथी पढ़ के घोट ली, फिर भी समझ न आय
रहे सदा बेचैन वो ,कुछ भी मन न सुहाय
कुछ भी मन न सुहाय ,लिए मन व्यथित जो घूमे
संत समागम देख नदी तट, साधु चरणन को चूमे
मन अधीर हो शांत ,कृपा भगवन जो कीजै
जीवन सफल हो जाय ,जो गुरुवर शरण में लीजै
मंद मंद मुस्काय संतजन ,दिया जो पाठ पढ़ाय
जीवन सफल कभी न होय, करतब से जो भगाय
मूलमंत्र जीवन का मिलता, स्वजन को मित्र बनाय
किन्तु,परन्तु कभी नहीं आवै, निर्मल जो हो सुभाय
पूजा है बिना काम की, गुणन से गर परहेज
मम जीवन ही संदेश है ,लियो गांधी शब्द सहेज
फल की चिंता किए बिना ,कर्म करहुं दिन रात
देवकीनन्दन कह गए ,लाख टके की बात
इधर उधर जो भटकत हैं ,देते जो समय गंवाय
जीवन के इस सार को ,कभी समझ न पाय
#सार