Hindi Quote in Story by Kumar Gourav

Story quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

यमदूत की बहाली

गयासुद्दीन के पांच साल के छोटे से शासनकाल के पश्चात उलूंग खाँ ने गद्दी संभाली। राजामुंदरी के एक अभिलेख अनुसार वह पूर्ववर्ती सभी शासकों की अपेक्षा योग्य और विद्वान व्यक्ति था। अपनी सनक भरी योजनाओं एवं दूसरे के सुख दुख के प्रति उपेक्षा भाव के कारण उसे स्वप्नशील और पागल आदि भी कहा जाता था।
जब उलूंग खाँ ने दिल्ली की जनता को दौलताबाद चले जाने का हुक्म किया तो कीकट प्रदेश का एक ठठेरा व्यथित होकर घुड़साल में छिप गया। ठठेरा कुछ समय पहले ही जीवनयापन हेतू राजधानी में आकर बसा था। एक एक कर जब सभी सवारियां दौलताबाद को चली गई तो घुड़साल उजाड़ दिया गया। हारकर ठठेरा अपने परिवार को ले पैदल ही कीकट प्रदेश की ओर चल दिया। सफर का महीना था। दुर्भाग्य से भूख प्यास के कारण उसकी मौत रास्ते में ही हो गई।
दो दिन तक तो उसका शव रास्ते पर ही पड़ा रहा। यम के दूतों ने उसे ले जाने से ही मना कर दिया। उन्होंने कहा जब हूकूमत बादशाह की है तो रियाया का खुदा ही मालिक है।
भला हो ट्विटर का जिसने आरआईपी ह्यूमैनिटी का हैशटैग चलाया । जिसके चलते उन्हें उसे ले जाना पड़ा।
यमदूतों ने उसे ले जाकर नरक के द्वार पर पटक दिया। कई दिन हो गए लेकिन न तो उसे भीतर बुलाया न ही वहाँ से भगाया। साल के अंत में फाइल क्लोज कर चित्रगुप्त महाराज भौतिक निरीक्षण के लिए निकले तो उनकी नजर से ये बात छिपी नहीं रह सकी। अधिकारी तलब हुए जबावदारी हुई तो अधिकारियों ने कहा हमारे पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जिसके आधार पर इसे नरक में जगह मिले। चित्रगुप्त महाराज ने लोकाचार समझाया चूंकि यह स्वर्ग में नहीं रखा जा रहा इसलिए नरक में रहेगा। अधिकारियों ने पूछा यह नरक में करेगा क्या तो चित्रगुप्त ठठेरे से ही पूछ लिया तुम्हें कौन सा काम आता है। उसने कहा हूजूर बर्तन बनाना और मरम्मत करना जानता हूँ। धीरे धीरे ठठेरा यमदूतों में घुलमिल गया। उनके कामों में सहायता करना ।
कुछ समय बाद उलूंग खाँ ने फिर दौलताबाद से दिल्ली चलने का हुक्म दिया। इस बीच कीकट प्रदेश में महामारी फैल गई। वहाँ का राजा भी महामारी की चपेट में आ गया। काम बढ़ गयाथा नरक में गैर जरूरी कामों को रोककर सबको ढ़ोने में लगाया गया।
ठठेरे को एकबार फिर से अपनी जन्मभूमि को देखने की लालसा लगी । वह भी कीकट नरेश को लानेवाले झुंड में शामिल हो गया।
कीकट नरेश उसे देखते ही पहचान गये " का रे गजोधर इहाँ कैसे ? तुम तो सुने दिल्ली बस गये। "
ठठेरा अपने सहकर्मियों के सामने झेंप गया " दिल्ली त कब्बे छोड़ दिए मालिक । अब यमदूत में बहाल हो गये हैं।"
कीकट नरेश चलने के लिए पलंग के नीचे पैर से चप्पल खोजने लगे "कहाँ ड्यूटी है आजकल स्वर्ग में की नरक में।"
ठठेरा हाथ जोड़कर बोला " हमरा त भगवान बनाये ही हैं आपके सेवा के लिए । इसलिए पहले से नरक में ड्यूटी लगाये हुए हैं।"

© Kumar Gourav

Hindi Story by Kumar Gourav : 111403377
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now