मुझे आई न बुलाने की कला, तुमसे आया न गया
फासला ये प्यार का हम दोनों से मिटाया न गया
वो लम्हा याद है हम दोनों की जब मुलाकात हुई
बातों में दिन बीत गया देखते देखते वो रात गई
वो समा जो आज भी इस दिल से भुलाया न गया
मालूम न था मिल रहे हैं मिलके बिछड़ने के लिए
मेरी किस्मत में लिखा है जैसे उजड़ने के लिए
इस तरह उजड़ी मेरी किस्मत कि बताया न गया
याद तो रह जाती है लेकिन वक्त गुजर जाता है
जैसे चमन में फूल तो खिलते हैं बिखर जाते हैं
दाग़ जो उनसे मिला फिर कभी मिटाया न गया
मुझे आई न बुलाने की कला तुमसे आया न गया
#कला