मानव जात उस ईश्वर का जितना भी आभार प्रकट करे उतना ही कम है। भगवान ने हम सभी को कई रूपों से प्रेमसागर में सराबोर कर रखा है। एक अबोध बालक को मां रूप में प्रेम का सागर दिया है, तो पिता के रूप में वटवृक्ष रूपी छाया प्रदान किया है। भाई - बहन का प्रेम, पति - पत्नी का प्रेम ,हम सभी को दादा - दादी का प्रेम, सास - बहू का प्रेम, इसी तरह प्रेम अनेक रूपों में विद्यमान है। काम (प्रेम) एक लेकिन नाम(रिश्ते - नाते) अनेक। हम सभी का परम् सौभाग्य है कि ईश्वर द्वारा हमें विभिन्न रूपों में प्रेम का सागर प्रदान करने की कृपा की है।
#विभिन्न