#मूल्य
भगवान का मुझ नाचीज़ को दिया तोहफा है वो,
उसका कोई मूल्य नही,अमूल्य है वो।
दिल से निकल आंखों में बस जाती हैं,
आँखे बंद कर लूं,तो दिलो दिमाग से होती मेरे मन में ठहर जाती है'वो'।
और जब अपना दिल बड़ा कर उस अमूल्य तोहफे को दूसरे को सोपने का सोचती हूँ....तो इस समाज के कुछ दंरिन्दे उसे खुश रखने का मूल्य माँगते हैं।
...मूल्य माँगते हैं मेरी ममता का,पिता के फ़र्ज़ का और उसकी बनी हुई पहचान के आंकलन का।
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समय बदल गया है...दिन प्रतिदिन उसका मूल्य बढ़ता जा रहा है ,बदलते समय के साथ उन चंद दरिंदो का मूल्य लगाने में वो सक्षम है।... 'मेरी बेटी' जिसका कभी कोई मूल्य नहीं था,
वो तो सदा से ही बहुमूल्य है।