ज़िंदगी रही तो फिर मुलाकात होगी,
ख्वाबों में ही सही, तुमसे हर रोज बात होगी।
मिलना बिछुड़ना तो किस्मतें ज़िंदगी है,
मेरी सांसों में कहाँ किसी की बंदगी है।
मेरी हर सांस तुम्हारे लिए धड़कती है,
मेरे दिल से निकली.. 'तड़प की',हर एक आह तुम तक जा पहुँचती है।
अब दीदारे हमसफ़र न हो,कोई बात नहीं,
दोनों की मुलाकात हो न हो, कोई बात नहीं,
ये प्रेम की पराकाष्ठा है,
अब मुलाकात के लिए ,दो इंसानों की मौजूदगी का होना भी जरूरी नहीं।
ये सच्चे प्रेम की चरम सीमा है जहाँ दो रूहों की मुलाकात हो जाती है।
और इस पवित्र मुलाकात की दुनिया को खबर भी नहीं।
#मुलाक़ात