खुदा होता हीं नहीं एसा कहने वाली में,
उसमें खुदा से कम कुछ देखा नही मैने|
भरी भीड़ में अब खुद को अकेला नही पाती में,
कयौकि मेरे साथ मेरी परछाई को खड़े होते हुए देखा है मैने|
अब नहीं रोती पुरी रात किसी की याद में,
किसी को मुझे सवारते हुए देखा है मैने|
पहले किसी को फर्क नहीं पड़ता था,
अब मेरे रोने से भी रोता है कोई|
कया लिखू अब उसके बारे में,
मूझै मुझसे मिलाया है उसने|
जीतना भी सुकरिया अदा करू ऐ खुदा तेरा,
कम हीं होंगा अगर वो सात जन्म भी साथ रहे मेरे |
अब ना रही कोई फ़रियाद हैं,
पुरी जिंदगी करनी तेेैरे नाम हैं|
~जागृति