एक उसके जाने से चला गया सबकुछ मेरा,
वो था ,तो था, यौवन भी ,बचपन सा मेरा,
संग उसके हंसते रोते,काटी रातें,मिला सवेरा,
वो था ,तो था, मेरा एक घर,एक बसेरा ।
अब यादें हैं,आंसू है ,और है घना अंधेरा ,
मन में मेरे ,अनजाने भय ने , है डाला डेरा,
वो आ जाए,ले जाए मुझको, जहां सवेरा,
बसाएं फिर से , एक घर,एक बसेरा।
उसके आशीष भरे हाथ ने मुझको सदा घेरा,
लगता वो जर्जर हालत में भी ख्याल मेरा,
ज़िन्दगी की जंग में बनता ढाल मेरा ,
उसके रहते ,न रहता सवाल ,सवाल मेरा।