#kavyotsav2
सावित्री बाई एक नायिका
र्दद के दामन पर
जग सोया था
जाती प्रथा के कथा
मैं हर वर्ग खोया था।
तब आई वह
नारी की देवी थी,
महात्मा से विदया पाकर
वो संयम सरस्वती थी।
सावित्री नाम उसका
जोति बा के संग व्याही थी
हथेली में उसके विदया की सयाही थी।
उस जमाने में धर्म के नाम पे
ये रोग,
तन,मन सब हारे थे
वो आई देवी बनकर
धर्म के जंजीरों को सबने तोडा था ।
सन अठालिस मैं
मराठों मैं वह
समाज की नायिका थी
वचन मे उसके
दलितो की पुकार थी
बालपन से था
पुस्तकों का प्रेम
हाथो मैं पाकी पेनसील
और मन मैं अभिलाषा
पूरी की प्राथमिक शिक्षा
लेकर मन मे अनेक आशा।
दलित और हारे
को उधार किया
मन मैं विशवास
हर नारी को देना शिक्षा था
पथ सीखा गई मानवीकता का
जोति बा के विचार सदा प्रेरणा देते ।
न देख पाई सत्रीयो का दर्द
हर प्रथा पे करती विवाद
पूने, सातारा अब कहा न
शिक्षा वयापी थी,
हर वर्ग.की नारी
अब शिक्षा की पूजारी थी
विदया हर वर्ग का नाव
तन,मन से सवीकरो
उठो दलित, उठो मित्रों
शिक्षा के राहे चलो
यही तेरा प्राण प्रतिष्ठा और मान
सब का है सम अधिकार
by divyanshi das
Carmel school
rourkela
odisha
।। शिक्षा हैं उननति का आधार ।।