लो झूठे इश्क की फरवरी आ गई साहब
सच्ची महोब्बत का तलबगार कहाँ मिला करता है...
इतिहास के पन्नों में दब गई महोब्बत
अब वो हीर रांझे जैसा इतिहास कहाँ रचा करता है...
जिस्मानी खेल को नाम देते हैं प्रेम का
रूहानी इश्क़ की बातें अब कौन किया करता है...
इश्क़ के नाम पर ज़ज्बातों का होता है उपहास
अब शीरी फरहाद जैसा फनां कौन हुआ करता है...
महोब्बत को बना दिया है अब तिज़ारत
इबादत करे इश्क़ की ऐसा इंसाँ कहाँ मिला करता है
#शिवनेरी
#Valentinespecial