सर्दियाँ इसलिए भी खास होती हैं क्योंकि ताजी रसीली मूलियाँ इसी समय मिलती हैं। मैंने मूली को रसीला कहा, इस पर कई लोग एतराज कर सकते हैं। पसंद अपनी अपनी, ख्याल अपना अपना! पर जिस किसी ने भी मूली के पराठे बनाए हैं, वह इस बात की महत्ता समझ सकता है। ताजे कद्दूकस किए मूली पर नमक डाल कर जितनी देर उसे छोड़ते हैं, उतनी देर वह चीख चीख कर पूरे मुहल्ले को बताता है कि आज फलाँ के घर मूली के पराठों की तैयारी है।