क्या बताऊ हाल शहर का, बाकि सब ठीक हैं !राजनीती गलियारे में, इंसानियत रो रही हैं !अब शिक्षा के मंदिल में, राजनीती हो रही हैं !क्या बताऊ.. बाकि सब ठीक हैं.... अब पड़ोसी कहा पूछते, आग सुलग रही हैं !अपने ही मकान में बचपन झुलस रही हैं, बाकि सब ठीक हैं..... रो रही माँ अब बेटी बचाऊ कैसे, घूम रहे भेड़िये घर में लाज बचाऊ कैसे !चाहत तो बहुत हैं, सदभावना लाउ कैसे !... बाकि सब ठीक हैं !राज करो अब निति कैसा, झूठे भरम फैलाये हैं !गदारो की टोली ले वही लोग आये हैं, सीसे के घरो में रहने वाले पथर खूब चलाये हैं !"बेदर्दी "बेबस हैं भाई, बाकि सब ठीक हैं.......