नही जानता इस जीवन का वास्तविक सत्य क्या है, सुख क्या है, क्या स्थितप्रज्ञ होने पर मोह के सभी बंध छूट जाते हैं, क्या समाधि की अवस्था में जीव ब्रह्म से एकाकार होता है!!
पर इतना अवश्य जानता हूं कि एकमात्र प्रेम ही यहां वह सिंधु है जो ह्रदय के अथाह सूनेपन को भरकर चिर शांति का आलम्बन देता है।