English Quote in Story by Yuvrajsinh Jadeja

Story quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in English daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

?padh k rona mt ?
? ?* ?

जब बचपन था, तो जवानी एक सपना था...

जब जवान हुए, तो बचपन एक ज़माना था... !!

जब घर में रहते थे, आज़ादी अच्छी लगती थी...

आज आज़ादी है, फिर भी घर जाने की जल्दी रहती है... !!

कभी होटल में जाना पिज़्ज़ा, बर्गर खाना पसंद था...

आज घर पर आना और माँ के हाथ का खाना पसंद है... !!!

स्कूल में जिनके साथ झगड़ते थे, आज उनको ही इंटरनेट और वाट् सप व फेसबुक पे तलाशते है... !!

ख़ुशी किसमे होतीं है, ये पता अब चला है...
बचपन क्या था, इसका एहसास अब हुआ है...

काश बदल सकते हम ज़िंदगी के कुछ साल..

.काश जी सकते हम, ज़िंदगी फिर एक बार...!!


? जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने अपने हाथ जादू से गायब कर दिए
|??

✏जब हमारे पास चार रंगों से लिखने वाली एक पेन हुआ करती थी और हम सभी बटनों को एक साथ दबाने की कोशिश किया करते थे |❤???

? जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके..?

??जाने कहां खो गई वो बचपन की अमीरी जब पानी में हमारे भी जहाज चला करते थे?⛵और आसमान मे हवाई जहाज....

?जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |


?सोचा करते थे की ये चाँद हमारी साइकिल के पीछे पीछे क्यों चल रहा हैं |??


??लाईट के On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |


????? फल के बीज को इस डर से नहीं खाते थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |


?????? बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |

?फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने की कोशिश करते थे की इसकी लाइट कब बंद होती हैं |


? सच , बचपन में सोचते थे कि हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?


और अब सोचते है हम बड़े क्यों हो गए ?⚡⚡


??ये दौलत भी ले लो.. ये शोहरत भी ले लो?

भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...

मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन ....☔
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी.. ???
..............

English Story by Yuvrajsinh Jadeja : 111180307
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now