#काव्योत्सव #प्रेम #KAVYOTSAV -2
तलाश
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1.
याद रहेगा
वो ख़ास पल
जब पत्ते झनमनाये, कोयल कूकी
और
तुम्हारी प्यारी सी आहटों की थिरकती धुन व
प्रेम से पगी झंकृत करती सरगोशियाँ !
कुछ पोशीदा बातें, बसा ली मन में
जैसे पुराने किले में दबी हो
अनमोल थाती !
सुर्ख लाल रंग कहर लाता है ना.
तभी तो तलाश है
जाने कब पूरी हो, या तुम्ही थे
मील के पत्थर, मेरे लिए।
2.
थे अकेले
थे अलमस्त
थे ख्वाबों को समेटे
थे मंजिलों के तलाश में
कभी बेवजह कभी बावजह
किसी ने कहा था
सफलता एकान्त को पूर्ण करती है ।
हाँ, तभी तो
उम्मीदों के चातक की कर रहे सवारी !
3.
थी बेहद पास
पर फिर भी कर रहा था तलाश
आखिर ढूंढने के बाद पाना भी तो
है एक खुबसूरत अहसास !
~मुकेश~